चरैवेति चरैवेति
विगत पाँच वर्षों से यह अनुभव होता रहा है कि अब मैं थक चुका हूँ।
ब्लॉग लिखने की अपनी मर्यादाएँ हैं यह भी सच है। रोज ही कोई न कोई प्रेरणा जागृत होती रहती है। लगता है कि है कि कुछ और महत्वपूर्ण ऐसा छूट गया है जिसे कि लिखा जाना आवश्यक है। जब से डेस्कटॉप ठप हो गया है तब से मोबाइल पर ही ब्लॉग लिखता रहा हूँ। तो कुछ न कुछ वर्तनी की भूलें अन्त तक रह ही
जाती हैं। तो अब उन्हें सुधारने का हठ करना छोड़ दिया है। क्योंकि यदि इस पर ध्यान दिया जाए तो वह जो कि मुझे महत्वपूर्ण प्रतीत होता है विस्मृत हो जाता है और फिर हमेशा के लिए खो जाता है।
उदाहरण के लिए पिछला पोस्ट।
जितनी सुविधाएँ हैं उतनी ही कम हैं। जितना लिख पाता हूँ उतना भी बहुत है। और आग्रह भी नहीं है कुछ लिखते रहने का। मुझे लगता है कि यह प्रश्न मेरे जैसे उन सभी ब्लॉग्स को परेशान करता होगा जो केवल लिखते रहने में ही प्रसन्न हैं। किन्तु जब ब्लॉग के पाठकों को परेशानी हो जाती होगी तो यह भी कोई अच्छी बात तो नहीं है!
यह पोस्ट सिर्फ इसी बारे में है।
***
No comments:
Post a Comment