यह कुछ ठीक है!
तो अब उस लड़की की कहानी को आगे बढ़ाया जाए जो कि संयोग से या किन्हीं और अज्ञात कारणों से समाज से बहुत दूर प्रकृति की गोद में प्राकृतिक रीति से पली-बढ़ी, और फिर किसी ने उसे वहाँ पाया, तो उसे अपना लिया और उसका जीवन सिरे से बदल गया।
इस कहानी की प्रेरणा और प्रयोजन भी यह विचार, और यह खोज करना है कि आदिम / आदि मानव की प्रकृति, संस्कृति और धर्म क्या और कैसा रहा होगा!
और कहानी स्वयं ही अपना रास्ता खोजती हुई आगे बढ़ रही है। किसी नदी की तरह। मैं न तो जानता ही हूँ, और न ही यह चाहता हूँ कि यह किसी विशेष दिशा में अग्रसर हो। मैं बस देख रहा हूँ कि यह कहाँ तक और कैसे, किस प्रकार से वहाँ तक जाती है!
और यह प्रसन्नता भी मेरे लिए पर्याप्त है।
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