दृष्टा तु दृशिमात्रः शुद्धोऽपि प्रत्ययानुपश्यः।।
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वृत्ति चेतना की गतिविधि है।
प्रत्यय प्रतीति है -
प्रतीयते विधीयते इति प्रत्ययः।।
वृत्ति समय के साथ बदलती रहती है,
प्रत्यय तात्कालिक होता है।
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