September 15, 2022

नींद कभी...!

नींद और फ़िक्र  : कविता 

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नींद कभी रहती थी आँखों में,

अब कहीं और रहा करती है!

फ़िक्र जो रहती थी कहीं और,

अब वो दिल में रहा करती है!

याद रहा करती थी, सपनों में,

सपनों के साथ हो गई विदा, 

उम्र जो रहती थी साँसों में, 

जल्दी ही हो जाएगी जुदा! 

और फिर वक्त ही वक्त है!

बस मैं हूँ, और है मेरा खुदा!! 

*** 





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