November 15, 2010

संस्कार

~~~~~~~ "संस्कार" ~~~~~~~
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उसका चेहरा हरदम ढँका रहता था !
अक्सर वह अपनी पोशाक बदलता रहता था ।
और इसलिये लोगों को अकसर परेशानी रहती थी ।
उसे हर कोई अपने ढंग से पहचानता ज़रूर था,
-लेकिन ’जानता’ कोई नहीं था ।
अकसर उसे लेकर लोग आपस में झगड़ने लगते थे ।
और उसके जैसे भी एक नहीं, कई थे !
इसलिये बहुत अधिक अराजकता थी ।
यह अन्धेरे में रास्ता टटोलने जैसा होता था ।
पर उन्हें कभी ख़याल ही नहीं आता था कि ऐसा 
  भी हो सकता है !


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