July 03, 2019

तेरे प्यार में ...

सिलसिला बेमियाद
-ज़िंदगी का 
--
मेरी ज़िंदगी,
तेरे प्यार में,
मैं कहाँ-कहाँ से गुज़र गया!
किसी राह में,
किसी मोड़ पर,
कभी डर गया, कभी मर गया!
कभी मंज़िलों की आरज़ू,
कहीं रास्तों की जुस्तजू,
जीत-हार का तबील,
अपना ये सफ़र हुआ!
कहाँ हम कभी,
अलग थे दो?
कहाँ हम कभी,
हुए थे जुदा ?
ये जहाँ रहा,
दुश्मन सदा,
पर अपनी सबसे,
अलग अदा !
पार की सब मुश्किलें,
तोड़ दी जंजीरें सभी,
गो सफ़र ये ख़त्म,
हुआ है अब,
नहीं ज़िंदगी,
कभी होगी ख़त्म !
मेरी ज़िंदगी,
तेरे प्यार में,
-- 


 

    
  

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