~~~~~ तदेजति तन्नैजति... ~~~~~
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© Vinay Vaidya
तारे ठहरे भी रहते हैं,
तारे चलते भी रहते हैं,
चंदा को साथ लिये,
सूरज ठहरा भी रहता है,
सूरज चलता भी रहता है,
धरती को साथ लिये,
धरती ठहरी भी रहती है,
धरती चलती भी रहती है,
जीवन को साथ लिये,
तुम भी ठहरे भी रहो,
तुम भी चलते भी रहो,
उन्नति को साथ लिये !
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(तदेजति तन्नैजति...-ईशावास्योपनिषत्)
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शास्त्रीय संपूर्णतायुक्त कथन.
ReplyDeleteधन्यवाद राहुलजी,
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी मेरी अमूल्य निधि है !
सादर,
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteThanks RUTWIK !!
ReplyDeleteवाह! बहुत धन्यवाद। मैं इसका भावार्थ ही खोज रहा था ।
ReplyDeleteबहुत, बहुत धन्यवाद!