मौसम भी रंग बदलता है,
धरती भी रंग बदलती है,
सूरज भी रंग बदलता है,
क़ुदरत भी रंग बदलती है,
प्यार भी रंग बदलता है,
नफ़रत भी रंग बदलती है,
हुस्न भी रंग बदलता है,
चाहत भी रंग बदलती है।
बदलाव ही रंग ज़िंदगी का,
हरेक सूरत सीरत बदलती है!
फिर वो क्या है जो नहीं बदलता,
मेहनत से तक़दीर भी बदलती है!
क्या बदलते हैं, उसूल-ओ-इरादे भी?
यक़ीं के साथ हक़ीकत बदलती है?
लोग कहते हैं ईमान भी बदलते हैं,
दीन ओ मज़हब भी बदलते हैं,
ख़ुद, धरम, भगवान बदलते हैं,
वक्त के साथ इंसान भी बदलते हैं,
फिर वो क्या है जो नहीं बदलता?
नक्श फ़ितरत भी तो बदलते हैं,
हाल, हालात भी तो बदलते हैं,
हयातो-क़ायनात बदलते हैं,
ज़ीस्तो-जज़बात भी बदलते हैं,
इल्मो-अहसास भी बदलते हैं,
आम और ख़ास भी बदलते हैं,
दूर और पास भी बदलते हैं ।
आईन-ओ-निजाम भी बदलते हैं,
क़ायदे क़ानून भी बदलते हैं,
फिर वो क्या है कि नहीं बदलता,
रास्ते, पड़ाव भी बदलते हैं!
क्या वो मंजिल ही नहीं है,
जो कभी भी बदलती नहीं?
किसी सपने सी क़ोशिश ज़ारी,
एक उम्मीद जैसी बस, तारी रहती है!
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