"What the heart of the young man said to the psalmist" :
हिन्दी अनुवाद
एक युवाहृदय ने 'स्मृतिकार' (psalmist) से क्या कहा?
सुदीर्घ अंतहीन संख्याओं का उल्लेख करते हुए,
मुझसे यह न कहो,
कि जीवन एक खोखला स्वप्न मात्र है!
क्योंकि जो निद्रित है, वह मृत के समान ही है।
और यथार्थ वह नहीं, जैसा कि प्रतीत होता है!
जीवन निपट यथार्थ है! उत्कट और वास्तविक !
और मिट्टी तले दबा दिया जाना,
नहीं है गंतव्य जीवन का!
आत्मा के बारे में ऐसा तो कभी नहीं कहा गया था कि :
तुम मिट्टी के एक कण भर हो,
और अंततः तुम्हें मिट्टी में ही मिलना है!
बल्कि तुमसे तो सदैव यही कहा जाता रहा है कि :
सतत कर्म करते रहो!
ताकि आगामी प्रत्येक कल,
आज से और भी सुदूर, आगे हो!
कला दीर्घसूत्री है और काल त्वरायुक्त!
और यद्यपि हमारे हृदय सुदृढ और साहसी हैं,
फिर भी किसी शवयात्रा में बजते उन ढोलों की तरह,
धीमे, शोकपूर्ण स्वरों में धड़क रहे हैं जिनके मुख और आवाजें,
बलपूर्वक मानों दबाकर अवरुद्ध कर दी गई हैं!
संसार के विस्तृत युद्ध-क्षेत्र में, जीवन के पड़ाव पर,
मूक, हाँके जा रहे पशुओं की भाँति न हो जाओ!
युद्ध करो! संघर्ष में किसी वीर की तरह!
भविष्य कितना भी मोहक क्यों न दिखाई दे,
उस पर भरोसा न करो!
मृत अतीत ही दबाए मिट्टी-तले,
उसके अपने मृतक!
कर्म करो! -जीवंत वर्तमान में!
हृदयपूर्वक अपनी आत्मा में स्थिर होकर,
सिर पर परमात्मा का वरद हस्त लेकर!
सभी महान पुरुषों के जीवन यही स्मरण दिलाते हैं कि :
हम अपने जन्म को भव्य और दिव्य बना सकते हैं!
और यहाँ से विदा होते समय, छोड़ जा सकते हैं,
समय की रेत पर, अपने वे सारे पद-चिन्ह !
ताकि जीवन के विराट सागर पर शायद,
कभी किसी भटके-भूले, एकाकी, विस्मृत,
नौकाभग्न, नाविक-बन्धु की दृष्टि उन पर जा ठहरे,
और वह आशा-उत्साह से भर जाए,
उमंग और धैर्य से तट की ओर बढ़ चले!
इसलिए क्यों न हम, उठ खड़े हों, उद्यमशील हों,
भावी का स्वागत करने के लिए उद्यत!
पुनः पुनः प्राप्त करें, सतत अध्यवसाययुक्त होकर,
(आत्मा की अमरता के) उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए,
श्रमसंलग्न होना और धैर्यशील होना सीखें!
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This is done in an attempt to answer a reader's suggestion. Thanks for the suggestion and inspiration !
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