~~~~~क्षणिका-३~~~~~
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गर्मियों की दस्तकें थीं मौन अब तक ,
गर्मियाँ अब मौन दस्तक दे रहीं हैं !!
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गर्मियों की दस्तकें थीं मौन अब तक ,
गर्मियाँ अब मौन दस्तक दे रहीं हैं !!
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और वो मौन मुखर हो शीर्ष पर पहुँच कर फिर मौन हो जाता है
ReplyDeleteसुन्दर विनय जी
कॉल बेल भी बजने वाला है.
ReplyDeleteधन्यवाद राहुलजी !
ReplyDeleteसादर,
धन्यवाद सुनीता !
ReplyDeleteसादर,