February 11, 2011

~~क्षणिका-1,2.~~

~~~ क्षणिका-1,2.~~ 


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1. हरेक सिम्त से देखता रहता हूँ तुझको 
ये बात और है कि जानता नहीं हूँ मैं !
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2. और हैरत कि जानता नहीं फ़िर भी,
हरेक शक्ल में पहचानता हूँ मैं !!
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1 comment:

  1. बहुत सुन्दर विनय जी
    यह और बात है कि तुम्हे नहीं मालुम तुम्हे कितना देखता हूँ में

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