नर्मदा तट, सातधारा
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दो तीन दिनों से बारिशें शुरू हो गई हैं।
उम्मीद है हफ्ते भर में मौसम खुशनुमा हो जाएगा।
कभी खुला आकाश, कभी बादलों की घुमक्कड़ी, और कभी हवा का बेतरतीब इधर उधर दौड़ते रहना। सुबह शाम और अब तो दोपहर में भी नदी तट पर घूमते रहना, कहीं भी बैठ जाना, कभी भी उठकर चल देना सब कुछ अपनी मनमर्जी से!
उमस कभी कभी तो होगी ही। तेज धूप भी कभी कभी। संध्या के समय नर्मदा के तट पर घूमते हुए स्व. दुष्यन्त कुमार की पंक्तियाँ याद आईं -
तुमको सुबह से निहारता हूँ ऋतंभरा,
अब शाम हो रही है परन्तु मन नहीं भरा!
और,
धीरे धीरे पाँव बढ़ाओ, जल सोया है, छेड़ो मत,
हम सब अपने दीप सिराने इन्हीं तटों पर आयेंगे!!
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