June 09, 2025

Friends.

P O E T R Y / कविता

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दोस्त मंजिल नहीं, बस पड़ाव होते हैं,

कभी फिसलन, कभी चढ़ाव होते हैं!

किसी भी मोड़ पर मुड़ जाते हैं,

घड़ी दो घड़ी के, लगाव होते हैं!

कभी सहारा, तो कभी चैन सुकून,

कभी तनाव या मनमुटाव होते हैं!

कभी लगाव और अलगाव कभी,

भरोसा, शक, या खिंचाव होते हैं!

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