कविता / 03 -10 -2018
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किसी राह में,
राहत तो हो,
किसी चाह में,
चाहत तो हो,
किसी आह में,
आहट तो हो,
राहत न हो,
तो वो राह क्या,
चाहत न हो,
तो वो चाह क्या,
आहट न हो,
तो वो आह क्या,
किसी दर्द की कराह क्या,
सुनता हो कोई अगर,
देखती हो कोई नज़र,
मुमकिन है कि कराह का,
दिखाई दे कोई असर,
देखकर भी जो देखे न,
कैसा है वो हमसफ़र,
इस सफर में अगर,
ऐसा कोई साथ हो ....
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किसी राह में,
राहत तो हो,
किसी चाह में,
चाहत तो हो,
किसी आह में,
आहट तो हो,
राहत न हो,
तो वो राह क्या,
चाहत न हो,
तो वो चाह क्या,
आहट न हो,
तो वो आह क्या,
किसी दर्द की कराह क्या,
सुनता हो कोई अगर,
देखती हो कोई नज़र,
मुमकिन है कि कराह का,
दिखाई दे कोई असर,
देखकर भी जो देखे न,
कैसा है वो हमसफ़र,
इस सफर में अगर,
ऐसा कोई साथ हो ....
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