December 23, 2014

आज की कविता / कथ्य - अकथ्य और नेपथ्य

आज की कविता / कथ्य - अकथ्य और नेपथ्य
--
प्रेम' को कहा नहीं जा सकता,
लिखा नहीं जा सकता,
किया नहीं जा सकता,
महसूस भी नहीं किया जा सकता,
क्योंकि जिसे महसूस किया जा सकता है,
वह बासी हो जाता है,
जबकि प्रेम कभी बासी नहीं हो सकता,
हाँ प्रेम 'हो' जरूर सकता है,
प्रेम, 'हुआ' भी जा सकता है,
लेकिन इसकी स्मृति नहीं बनती,
यदि बनती भी है,
तो वह आराध्य की प्रतिमा से उतरे फूलों सी,
- 'निर्माल्य' होती है,
जिसे विसर्जित कर दिया जाना ही,
उसका सर्वोत्तम सम्मान है.
--.

No comments:

Post a Comment