आज की कविता / दर्द / 20/02 /2014
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© vinayvaidya111@gmail.com
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दर्द अकेले ही अकेले सहते रहो,
क्यों परायों से भला कहते रहो ।
दर्द दरिया है, दर्द दरियादिल,
बन के पानी सा सिर्फ बहते रहो !!
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दर्द अकेले ही अकेले सहते रहो,
क्यों परायों से भला कहते रहो ।
दर्द दरिया है, दर्द दरियादिल,
बन के पानी सा सिर्फ बहते रहो !!
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