~~~ बैंगन को समर्पित ~~~
_________________________
**************************
इस बैंगन में बड़े-बड़े गुन!
कच्चा बैंगन, पका बैंगन,
रसोई में जब पका बैंगन
जाग उठी खुशबू से भूख,
थाली पर जब सजा बैंगन
कच्चा बैंगन गोल बैंगन,
लुढ़क जाता सुडौल बैंगन,
बना जब उसका भुर्ता तो,
सब बोल पड़े, वाह बैंगन !
उसे ही जब पेड़ पर देखा,
देखा जिसने कहा बैंगन,
ये पककर हो गया पीला,
नहीं खाएँगे अब बैंगन !
गुनी बैंगन बेगुन बैंगन,
बेचारा बेगुनाह बैंगन,
वक़्त बेवक़्त का मारा,
बैंगनी या पीला बैंगन !!
मौसम के बदलने पर,
बदल देता है रंग अपना,
नेताओं से कब मिला तू?
बता मुझको ज़रा बैंगन !
--
--
________________________
************************
© विनय वैद्य.vinayvaidya.ujjain@gmail.com
No comments:
Post a Comment