August 02, 2013

महत्त्वाकांक्षा और आत्मविश्वास !



जब कोई मूर्ख मनुष्य महत्त्वाकांक्षा से ग्रस्त होता है तो वह न सिर्फ़ उसके लिए बल्कि पूरे संसार के लिए घातक हो जाता है । इतिहास बार बार इस सत्य की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है, लेकिन हम मूर्खतावश उनमें से कुछ को ’प्रतिभाशाली’ और महान् मान बैठते हैं । ’युद्ध’ को वीरता मानकर कुछ महत्त्वाकांक्षी कमज़ोर पर आक्रमण कर ’विजयी’ कहलाते हैं । दूसरी ओर  ऐसे ’आक्रान्ता’ विजेताओं से मोहित होकर कुछ दूसरे महत्त्वाकांक्षी मूर्ख उनके इतिहास को सिर्फ़ नज़रअन्दाज़ ही नहीं करते बल्कि उन्हें गौरवान्वित भी करते हैं । इसलिए ज़रूरी है कि ’धर्म’ नामक वस्तु के इतिहास की पड़ताल की जाए ताकि ’धर्म’ नामक वस्तु के मिथ्या प्रकार  से हमारा मोहभंग हो ! सादर ! 

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