July 27, 2011

क्योंकि मैं ’धुँधला’ हो रहा हूँ !


~~ क्योंकि मैं ’धुँधला’ हो रहा हूँ ! ~~
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28072011
© Vinay Vaidya 

मेरी तस्वीर को देखकर दोस्त हैरान हैं,
क्योंकि उन्हें वह एक ’ऎब्स्ट्रेक्ट-पॆन्टिंग’ लगती है !
वे नहीं जानते कि मेरी नज़र से,
वह एक साफ़-सुथरा ’यथार्थ’ है ।
क्योंकि मैं धुँधला हो रहा हूँ !
डॉक्टर कहते हैं,
"आँखों में जाला पड़ रहा है,
पकने पर ऑपेरशन कर देंगे ।
फ़िर एक मोटा चश्मा पहनना होगा ।
चिन्ता की कोई बात नहीं है,
उम्र की तक़लीफ़ है ।"
मैं पूछता हूँ :
"उम्र तक़लीफ़ है ?"
मेरा पोता मुझे समझाने लगता है,
"दादाजी, ’उम्र’ नहीं, ’उम्र की’ !"
"अच्छा,...।"
मैं नहीं जानता कि ऑपेरेशन के बाद,
मुझे कैसी दिखाई देगी मेरी यह तस्वीर !
लोग कहते हैं, :
"यह आपकी तसवीर है ?
हमें तो आप इसमें कहीं नज़र नहीं आते !"
मैं सिर्फ़ इतना ही सोचता हूँ,
कि ऑपेरेशन के बाद,
मेरे लिये भी,
शायद मैं पूरी तरह ग़ायब हो जाऊँगा,
मेरी इस तस्वीर से !

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2 comments:

  1. मन की आंखें खोल बाबा...

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  2. शुक्रिया, राहुलजी,...!

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