~~~~~~~~~ परिपाटी ~~~~~~~~~
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© Vinay Vaidya
06062011
परंपराएँ,
चढ़ती-उतरती हैं,
सीढ़ियाँ !!
होते हुए जर्जर मगर,
टूटे बिना !
परंपराएँ,
चढ़ती-उतरती हैं,
पीढ़ियाँ !!
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सीढि़यां और पीढि़यां में वर्तनी संशोधन हेतु कृपया विचार करें.
ReplyDeleteप्रिय राहुलजी,
ReplyDeleteक्षमा चाहूँगा,
वास्तव में यही तो मेरी रचना की ’जान’ है !
आप देखिये कि आप ’सीढ़ियाँ’ और ’पीढ़ियाँ’
दोनों को एक-दूसरे से स्थानापन्न (replace)
कर सकते हैं, यह ’तथ्य’ दोनों पर लागू होता
है । टिप्पणी के बहाने मुझे एक मौका मिला,
इसके लिये आभार,
सादर,
प्रिय राहुलजी, पुनश्च :
ReplyDeleteफ़िर मैंने गौर किया कि शायद आपका
संकेत हृस्व ’इ’-कार के स्थान पर दीर्घ
’इ’-कार की ओर था ! सो, सुधार दिया
है, ऐसे ही मार्गदर्शन देते रहें । आभार !
सादर,
पीढ़ी दर पीढ़ी परम्पराओं का सीढी चढना और उतरना ...टूट भी जाय तो नए लकड़ी और सीमेंट से उन सीढ़ियों का बने रहना
ReplyDeleteवाह सुनीता ! अद्भुत टिप्पणी !!
ReplyDeleteतल्ख़, लेकिन सटीक !!
बहुत बहुत शुक्रिया,
सादर,