July 31, 2010

नाम क्या है ?

~~~~~~~~~ नाम क्या है ? ~~~~~~~~~~
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सोचता हूँ,
अगर तुम्हारा कोई नाम न होता,
तो क्या तुम्हारा नाम न होता ?
जानता हूँ,  कई लोगों को,
जिनकी आँखें बोलती हैं,
कह देती हैं,
बहुत सा अनकहा,
-अकथनीय और अवर्णनीय,
जो अनुल्लेख्य तो कदापि नहीं होता,
किन्तु उसे वैखरी नहीं कह पाती,
और कान नहीं सुन पाते ।
लेकिन आँखें कभी-कभी देख लेती है,
किन्तु कह तो वे भी नहीं पातीं,
फ़िर भी यह भी सच है कि कभी-कभी,
आँखें भी न सिर्फ़ देख लेती हैं,
बल्कि सहेजकर संजोकर भी रख लेती हैं,
-जैसे कैमरे की आँख,
जिसने संजो रखा,
तुम्हारी आँखों की भाषा को !
मैं नहीं जानता क्या नाम है तुम्हारा,
लेकिन पढ़ सकता हूँ,
वह चिट्ठी,
जो कैमरामैन कल ही मुझे दे गया है !
और आज फेसबुक में तुम्हारा चेहरा देखा,
तो यही ख़याल आया,
नाम क्या है ?


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