February 03, 2024

60. मोह और आसक्ति

Question / प्रश्न 60

मोह और आसक्ति के बीच क्या भेद है? 

What is the difference between the delusion and the attachment?

--

एक बहुत पुरानी कविता जो कभी अधूरी लिखी थी, कल रात्रि में एकाएक पूरी हो गई :

जिसका कहीं भी कोई भी 'घर' नहीं होता, 

उसे किसी भी चीज का कोई भी डर भी नहीं होता, 

और फिर यह भी इसी तरह से और इतना ही सच है,

कि वो शख्स दर-असल कभी 'बेघर' भी नहीं होता।

'मोह' है मन का ठिकाना जो कभी स्थायी नहीं हो सकता और मन का यह ठिकाना, उस ठिकाने की तलाश और उसे बनाए रखने की सतत कोशिश ही 'आसक्ति' अर्थात्  attachment  या ममत्व / मेरा - इस प्रकार का विचार या भावना है। यह ठिकाना ही है 'घर'।

'बेघर' होने का अर्थ है इस मोह का नष्ट हो जाना, अर्थात् यह स्पष्ट हो जाना कि 'मेरा' कुछ नहीं है, और न कभी हो सकता है। यह स्पष्ट हो जाते ही जीवन में आने जाने वाले सुख-दुःख भी 'मेरे' नहीं रह जाते हैं। कोई भी वस्तु, व्यक्ति, विचार, कल्पना, भावना, तब आने-जाने वाले अतिथि की तरह प्रतीत हो सकती है।

जब 'मेरा' कुछ नहीं, तो "मैं" भी कुछ नहीं रह जाता है। 

***

No comments:

Post a Comment