कविता
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सुख कहाँ नहीं है?
शीत में धूप का सुख,
ग्रीष्म में छाया का,
माया में ब्रह्म का सुख,
ब्रह्म में माया का,
देह में प्राणों का सुख,
प्राणों में काया का,
काया में जगत का सुख,
सुख में सब समाया सा।
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सुख कहाँ नहीं है?
शीत में धूप का सुख,
ग्रीष्म में छाया का,
माया में ब्रह्म का सुख,
ब्रह्म में माया का,
देह में प्राणों का सुख,
प्राणों में काया का,
काया में जगत का सुख,
सुख में सब समाया सा।
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