आज की कविता
अकसर
©
मुझे अकसर,
आवाजों में रंग दिखाई देते हैं,
रंगों में महक महसूस होती है,
महक में स्वाद,
और स्वाद में नमी भी,
नमी में स्नेह,
स्नेह में प्रेम,
और प्रेम में प्रिय,
किन्तु तब मैं नहीँ होता!
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अकसर
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मुझे अकसर,
आवाजों में रंग दिखाई देते हैं,
रंगों में महक महसूस होती है,
महक में स्वाद,
और स्वाद में नमी भी,
नमी में स्नेह,
स्नेह में प्रेम,
और प्रेम में प्रिय,
किन्तु तब मैं नहीँ होता!
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