August 07, 2015

आज की कविता - दुविधा / अनामिका

आज  की कविता
दुविधा / अनामिका
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एक खो-खो का खेल शुरु किया,
वृन्दा ने,
और हम रूमाल लिए हुए हैं ।
इस कली की पहचान,
-कठिन है ।
खिले फूल पेड़ पर नहीं दिखे,
और जो थे भूमि पर,
लगते थे गंधराज जैसे,
किन्तु थे कुछ और ही,
क्योंकि पेड़ बड़ा था !
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(यह सिर्फ़ कविता के रूप में लिखा है, उसी रूप में देखें, इसका किसी और से कोई संबंध नहीं है।)

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