आज की संस्कृत रचना
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युधि स्थिरो यो युधिष्ठिरः
कृष्णो तु कार्ष्णमेव च ।
अर्जुनो हि ऋजुताम् याति
अर्जति लभते जयम् ॥
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युधिष्ठिर तो युद्ध से अप्रभावित हैं,
और श्रीकृष्ण सदा पार्श्व में, पर्दे के पीछे से सूत्र संचालन करते हैं,
केवल अर्जुन ही हैं जो सरल भाव से अपने प्राप्त हुए कर्तव्य को पूरा करते हैं और अन्त में विजय प्राप्त करते हैं ।
इसलिए गीता का उपदेश युधिष्ठिर को नहीं अर्जुन को ही दिया गया । वे ही सर्वाधिक प्रासंगिक हैं ।
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युधि स्थिरो यो युधिष्ठिरः
कृष्णो तु कार्ष्णमेव च ।
अर्जुनो हि ऋजुताम् याति
अर्जति लभते जयम् ॥
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युधिष्ठिर तो युद्ध से अप्रभावित हैं,
और श्रीकृष्ण सदा पार्श्व में, पर्दे के पीछे से सूत्र संचालन करते हैं,
केवल अर्जुन ही हैं जो सरल भाव से अपने प्राप्त हुए कर्तव्य को पूरा करते हैं और अन्त में विजय प्राप्त करते हैं ।
इसलिए गीता का उपदेश युधिष्ठिर को नहीं अर्जुन को ही दिया गया । वे ही सर्वाधिक प्रासंगिक हैं ।
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