March 01, 2014

आजकल / 1 मार्च 2014 / मेघवार्ता

आजकल / 1 मार्च 2014 / मेघवार्ता
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ऐसा मौसम देखा पहली बार। … 
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तीन चार महीनों से एक नई चीज़ शुरू की है । 
बचपन की कल्पनाएँ  कभी साकार होंगीं कल्पना भी न थी ।
मोबाईल फ़ोन में कैमेरा मिला तो ख्याल आया कि अब उन सपनों को धरती पर उतारना मुमक़िन है । फिर दिन भर में पचासों पिक्स खींचने लगा । फिर समझ में आया ली एक यू एस बी कॉर्ड से उन पिक्स को कंप्यूटर पर स्टोर किया जा सकता है, तो एक ब्लॉग Love Like The Clouds  शुरू कर दिया  । 
पहले कभी पैंटिंग का शौक था और वह सिर्फ कला के नाते  था । इसलिए कभी किसी स्कूल या कॉलेज में जाकर सीखने का ख्याल नहीं आया । शायद कला को न तो कॉलेज में सीखा जा सकता है, और न सिखाया जा सकता है । मुझे लगता है कि जितने भी महान चित्रकार, कवि, संगीतकार आदि हुए हैं अधिकाँश ने कला को अंतःप्रेरणा से ही सीखा, और इस दृष्टि से मैंने कला को अपने ढंग से सीखना-समझना चाहा । वास्तव में कला स्वान्तःसुखाय या स्वान्तः हिताय से अधिक स्वान्तः समीक्षाय होती है । rediscovering oneself again and again . जब मैं इन पिक्स को देखता हूँ, तो हर बार अपना ही आविष्कार होता है । इसलिए मेरे एक चित्र का शीर्षक है; abstract एंड sublime . मैं सोचता हूँ कि कला सिर्फ आत्म-अन्वेषण है, एक अनवरत अनंत यात्रा । अगर आप की कलाकृति किसी को छूती है तो वह उसे स्वयं का ही स्पर्श प्रदान करती है । इसलिए हर कलाकृति नितांत वैयक्तिक होती है, और कोई कलाकृति अपने-आप में श्रेष्ठ या कमतर नहीं होती । --               

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