~~~~~~~~दर्द~~~~~~~~~
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दर्द मन्नत-कशे दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ ।
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दर्द की शक्ल तो होती है
तस्वीर नहीं होती है,
और बनाने की,
तदबीर भी नहीं होती !
दर्द ग़र है तो हुआ करता है,
दर्द की दूसरी तासीर नहीं होती है ।
दर्द कहता है, दर्द सुनता है,
दर्द की इससे अलग तकदीर नहीं होती है !
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प्रथम दो पंक्तियाँ तो ग़ालिब की हैं,
बाकी बस दर्द सी उठी दिल में !
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(प्रेरणा : श्री चन्दन पाण्डेय द्वारा फेसबुक में प्रस्तुत कविता )
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