June 29, 2010

वाह वाह वह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह

~~वाह वाह  वाह वाह वाह वाह वाह ~~
___________________________________
***********************************

रोज के अपने नियत भ्रमण के लिए,
शाम को थककर मैं,
निकला घर से .
उमस और गर्मी से बेहाल !
पसीने से तर- बतर,
व्याकुल बाहर-भीतर,
उस मोड़ पर जैसे ही पहुँचा,
जहाँ अचानक सड़क एक खुली जगह में निकलती है, 
और दायें-बाएँ,
बहुत चौड़े रास्तों पर मुड़ जाती है,
वह दौड़ती हुई आकर मुझसे गले लग गयी .
मैंने भी बाँहें फैलाकर,
स्वागत किया उसका,
और एक मृदु आलिंगन में समेट लिया उसे .
उसके दाँए कंधे पर था मेरा बाँया हाथ,
और दाँया,
उसकी पीठ पर से होकर,
उसकी कमर के दाँए,
ज़रा ऊपर .
वह मेरी बेटी, बहन, माँ, 
प्रियतमा, या दोस्त भी हो सकती थी. 
मिनट भर के लिए मेरी आँखें मुंदी की मुंदी रह गयी,
वह सहलाती रही,
-मेरा बदन !
और जब तक साँस में साँस आई,
वह जा चुकी थी, अपना सुखद,
अमृत-स्पर्श देकर !
ले गयी मेरी क्लान्ति, व्याकुलता,
- और स्वेद भी  !
कौन थी वह ?
अरे भाई,
गलत मत समझो,
--वह थी शाम की प्यारी, चंचल ,....
-- 
--हवा !

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

June 26, 2010

एक प्रश्न

~~~~~~~एक प्रश्न~~~~~~~
___________________________
***************************

एक प्रश्न : क्या आप वही हैं जो आप दिखने का प्रयास करते हैं..? 
सभी मित्रों से उत्तर अपेक्षित है.. ...जोगी..
उत्तर : आपका सवाल शायद यह है, कि मैं दूसरों की नज़रों में जैसा
दिखलाई देना चाहता हूँ, क्या मैं सचमुच वह हूँ ?
क्या यह एक नामुमकिन सवाल नहीं है ?
क्योंकि अलग-अलग लोगों की नज़रों में मैं हमेशा अलग-अलग
ही रहूँगा
इसलिये असली सवाल यह है कि मैं अपने-आपकी नज़र में क्या हूँ !
दूसरे शब्दों में कहेंतो मेरी अपनी इमेज मेरी दृष्टि में क्या है ?
और थोड़ा धीरज़ से देखेंतो क्या मैं मेरी इमेज हूँ ?
इस बिन्दु पर आते-आते बुद्धि ठिठकने लगती है और धैर्य चुक जाता
है
लेकिन मेरे लिए इस सवाल पर गौर करना जीने की एकमात्र सार्थकता है
सादर

_________________________
*************************

June 17, 2010

--हरित-ऋतु--



--------हरित-ऋतु--------
____________________
********************
*
आखिर कितने दिनों तक यूँ ही,
बैठे रहें पुरानी बातें लेकर ?
हमे ही शुरू करना होगा,
अपना नया जीवन,
-नये सिरे से !
पुरानी मटमैली दीवारों को,
-देने होंगे नए रंग
लयतालहीन पुराने शिथिल गीत में,
''स्वर नहीं रहे !''
-कब तक करते रहें ऐसी शिकायत?
 हमें ही देने होंगे उसे,
-स्वर नए रसीले !
तितली के नाज़ुक परों मे,
खोजने होंगे नए रंग,
-हमे
और उतारनी होगी मोगरे की भीनी महक,
-अपने जीवन में,
-हमें ही !
___________________________ 
***************************

*A comment I made, on a post of Ravindra Koshthi,
 on face-book, On 17-06-2010.
 Titled  : rutu hirwa,
(it is information about a marathi poem,composed
 by his daughter Jivanika koshti, and I translated the 
same into Hindi.  Credits go to Jivanika, for her this
 nice poem).

June 12, 2010

दर्द

~~~~~~~~दर्द~~~~~~~~~
______________________
**********************

दर्द मन्नत-कशे दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ ।
--
दर्द की शक्ल तो होती है
तस्वीर नहीं होती है,
और बनाने की,
तदबीर भी नहीं होती !
दर्द ग़र है तो हुआ करता है,
दर्द की दूसरी तासीर नहीं होती है ।
दर्द कहता है, दर्द सुनता है,
दर्द की इससे अलग तकदीर नहीं होती है !
--
प्रथम दो पंक्तियाँ तो ग़ालिब की हैं,
बाकी बस दर्द सी उठी दिल में !

___________________
*******************
(प्रेरणा : श्री चन्दन पाण्डेय  द्वारा फेसबुक में प्रस्तुत कविता ) 

June 04, 2010

आनेवाला कल

~~~~~~~~ख़याल~~~~~~~~~~
_________________________
*************************

हम यहाँ से लौट जायेंगे किसी दिन
छोड़कर ये दोस्तों की दुनिया
छोड़कर शिकवे-गिले
फिर न आयेंगे हम
आपके खयालों में भी किसी दिन !

__________________________
**************************  

June 02, 2010

अरे ! अन्तर्जाल !! Oh ! Internet !!

~~~~ अरे ! अन्तर्जाल !! ~~~~~~~
~~~~~~ Oh !  Inter-net ! ~~~~~~ 
____________________________
****************************

'गणकों' के ईश ,
'गणेश' की गणना,
स्कन्द (मुरुगन) का 'वेल',
शिव का 'डमरू',
नंदी की दृढ़ता,
सर्प की गति,
मूषक (mouse ) की चपलता,
सिंह की गर्जना,
मयूर के रंग,
चिति-शक्ति  का,
-ज्ञान-शक्ति का,
पार्वती का माया-जाल,
नए युग में ,
शिव पंचायतन का साक्षात अवतार !
अर्थात्, 
संजाल,
और अंतरजाल !!

________________________
************************