~~~~~~~~~उस रात ~~~~~~~~~~
____________________________
उस रात,
कुछ ज़िंदा मिसाइलें, अचानक आईं,
धावा बोला था मेरे शहर पर,
-उन्होंने .
कुल जमा दस में से नौ ने मचा दी थी तबाही मेरे शहर में !
बना दिया था शहर को श्मशान !
मेरे शहर के शहरियों में से कितने ही मारे गए,
कितने ही हो गए लहू-लुहान !
फिर कुछ बहादुरों ने जान हथेली पर रखकर,
पकड़ लिया था,
उस एक को, ज़िंदा ही .
अब उस पर मुकदमा चलाया जा रहा है .
कुछ कहते हैं, फांसी पर टांगो,
कुछ, कहते है, अहिंसा परमो धर्म:
और कुछ कहते हैं,
न्याय को अपना काम करने दो.
पर पता नहीं क्यों,
कोई यह क्यों नहीं कहता कि
मिसाइलें जहां से भेजी जा रही हैं,
उन्हें सजा दो !
_____________________________******************************* नोट : प्रस्तुत कविता itimes में श्री संजय अवस्थी के एक ब्लॉग पर टिप्पणी के रूप में लिखी गयी थी .____________________________****************************
____________________________
उस रात,
कुछ ज़िंदा मिसाइलें, अचानक आईं,
धावा बोला था मेरे शहर पर,
-उन्होंने .
कुल जमा दस में से नौ ने मचा दी थी तबाही मेरे शहर में !
बना दिया था शहर को श्मशान !
मेरे शहर के शहरियों में से कितने ही मारे गए,
कितने ही हो गए लहू-लुहान !
फिर कुछ बहादुरों ने जान हथेली पर रखकर,
पकड़ लिया था,
उस एक को, ज़िंदा ही .
अब उस पर मुकदमा चलाया जा रहा है .
कुछ कहते हैं, फांसी पर टांगो,
कुछ, कहते है, अहिंसा परमो धर्म:
और कुछ कहते हैं,
न्याय को अपना काम करने दो.
पर पता नहीं क्यों,
कोई यह क्यों नहीं कहता कि
मिसाइलें जहां से भेजी जा रही हैं,
उन्हें सजा दो !
kahte hain saja do....lekin kaise....wo bhi jab america supoort kare tab
ReplyDeletePriyaji,
ReplyDeleteज़ाहिर है हमारी सरकार में जो लोग हैं
उनमें इच्छाशक्ति ही नहीं है । लेकिन
मीडिया और जनता कहाँ इस बारे में
जागरूक है ?
Thanks for your precious comment.
-v.
ऐसे वीभत्स कृत्य के लिए दुष्ट मुल्क को सजा देना ही न्याय है किन्तु यह काम जिनका है "सरकार" वो ही कुम्भकरण की नींद ले रही है ! बहरहाल ...आपकी उत्तम शैली का कायल विनय पाण्डेय साधुवाद भेज रहा है ! विनय पूर्वक स्वीकार करे !
ReplyDeleteधन्यवाद विनयजी !
ReplyDeleteमित्रों से कुछ प्रेरणाएँ मिल जाती है
तो ब्लॉग लिखने का उत्साह और उत्साहस बना रहता है ।
सादर,