May 26, 2010

क्षणिकाएँ

~~~~~~दो क्षणिकाएँ ~~~~~~~~
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-१. एक दिन बदलेंगे वो,
    अपने उन यकीनों को,
    जिन पे हैं आज,
    कुर्बान दिलो-जाँ से वो,
   दिल में मगर होगा तब यकीन नया,
   हाँ, बहुत देर हुई,
   बहुत देर हो चुकी,
   - अब तो !

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-२.उम्मीदें उँगली पकड़ लेती हैं,
    तो दामन भी थाम लेती है !
    आपने चाहा जो हमें,
    दाद भी अब दे दीजे !

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1 comment:

  1. हकीकत बयां करती आकर्षक क्षणिकाएं..........वक्त को बदलने का माद्दा रखने वाला यकीन और उम्मीद का अँगुली पकङकर दामन थामना......दोनों में गजब का प्रभाव है......आदरणीय, शुभकामनाएं।

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