May 12, 2010

शब्द-अनुनाद

~~~~~~~~~शब्द-अनुनाद ~~~~~~~~~
____________________________
******************************************



© Vinay Vaidya 
12052010


सृष्टि से पूर्व,
शब्द ही था,
और शब्द ही था, 
एकमात्र  प्रभु  . 
शब्द ही शिव,
शब्द  ही शक्ति,
शब्द ही गणेश,
शब्द ही सरस्वती,
करो आवाहन शब्द का,
एकोपचार, पंचोपचार, या षोडशोपचार से,
करो पूजन उसका . 
किन्तु, जो नित्य जागृत है,
" य एषु सुप्तेषु जागर्ति, ''
उसे कैसे जगाओगे ?
इसलिए  पहले जागो,
अपने शब्द-स्वप्नों से,
भग्न हो जाने दो,
अपने स्वप्न-शब्दों की प्रतिमाओं को 
जो रोक देती हैं,
चट्टान सी दबाकर,
उस  कोमल, अद्भुत, 
अनिर्वचनीय शब्द-पुष्प को 
खिल उठने से,
क्योंकि  शब्द-प्रभु,
'दूसरे' को नहीं जानता !
एकात्म है वह,
-अपनी सृष्टि से,
-अनन्य और एकरस !!
अपने ही में,
अपने ही से, 
क्रीडारत है वह,
शिव-शक्ति सा अर्धनारीश्वर !!
करता है लीला,
समाधिस्थ ही ।
स्वयं ही उद्घोष है,
-अपना .
जिसे अपने स्वप्न-शब्दों में निमग्न तुम,
नहीं सुन पाते कभी । 
कहो वह जो सार्थक है,
सुनो वह जो शिव है,
देखो वह जो सुन्दर है . 
ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवा
भद्रं पश्येमाक्षभिः यजत्राः । 
.... ..... .....

और उद्घोष बनो उसका .
बन जाओ शब्द.
किन्तु उससे पूर्व,
होना होता है मौन,
क्योंकि मौन है,
शब्द की शक्ति,
प्रच्छन्न,
और शब्द है, 
उस शक्ति की अभिव्यक्ति,
खोदना होगा,
मन का कुँआ,
मनन से,
तद्धि तपस्तद्धि तप: 
ताकि बह सके,
शब्द-निर्झर,
-झर-झर  !
उन्मुक्त होकर .
करो उन्मुक्त उसे,
वह करेगा तुमको !!
परस्परं भावयन्त: श्रेयं परमवाप्स्यथ ..
क्योंकि शब्द शगल नहीं है,
और न है, कोलाहल !
शब्द सुधा है, संजीवनी,
नहीं गरल .
हो जाओ ऋष्यमूक !
हो जाओ मौन ऋषि . 
'जानो' उस शब्द को, 
नि:शब्दता में देखकर .
ऋषि देखता है,
-मन्त्रों को !
'देखो' सत्य को,
जो कि शब्द ही है,
तब जी उठोगे,
इस नित्य-प्रति की मृत्यु से,
उठकर, उबरकर,
सतत-जीवन में . 
अनंत प्रभु में,
सृष्टि से पूर्व, 
शब्द ही था,
और शब्द ही था / है, 
-प्रभु !!




________________________
**********************************



2 comments:

  1. शब्दों के ज्ञाता को शब्द अनुनाद पर टिपण्णी करने की कोशिश :- शब्द ही तो असल में भाषा की नीव है जिसपर बड़ी से बड़ी इमारते खड़ी है किन्तु जहां शब्दों में कटुता का भाव आ जाये वहाँ इमारत धवस्त भी हो जाती है और फिर शुरू होती है वहाँ से मौन की यात्रा ! बहुत बहुत साधुवाद ऐसी ज्ञानवर्धक रचना के लिए !

    ReplyDelete
  2. शुक्रिया, बहुत-बहुत !

    ReplyDelete