April 23, 2025

The Real Yogi?

पञ्चवटी

पञ्चवटी की छाया में है,

सुन्दर पर्णकुटीर बना। 

जिसके सम्मुख स्वच्छ शिला पर,

धीर वीर निर्भीक-मना।

जाग रहा यह कौन धनुर्धर,

जबकि भुवन भर सोता है।

भोगी कुसुमायुध योगी सा,

बना दृष्टिगत होता है।।

(मैथिलीशरण गुप्त : पञ्चवटी)

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