वो सात साल!
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मई 2003 से मार्च 2016 तक उज्जैन में व्यतीत करने के बाद 19 मार्च को उज्जैन से प्रस्थान हुआ। 19 मार्च 2016 से 05 अगस्त 2016 तक नर्मदातट पर स्थित नावघाटखेड़ी (केवटग्राम) में बीते।
05 अगस्त 2016 से नवंबर 2019 तक देवास में और फिर 23 मई 2023 तक पुनः उज्जैन में। इस बीच कुछ नया हो रहा था। पहले तो श्री राजीव दीक्षित के वीडियो देखे, पता नहीं था कि वे हमारे बीच नहीं रहे थे। इसके बाद श्री पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ जी के वीडियो देखने लगा। श्री अंकुर आर्य के "सत्य सनातन" के वीडियो को देखते हुए प्रतीत हुआ कि उनमें बहुत संभावनाएँ हैं, आशा थी कि उनसे भारतीय समाज, संस्कृति, और सामाजिक धर्म को नई दिशा मिलेगी। बाद के वर्षों में यह आशा पूरी भी हुई।आगे भी उनसे बहुत सी अपेक्षाएँ हैं।
वर्ष 2020 में ट्विटर पर श्री अश्विनी उपाध्याय जी को जानने और फॉलो करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मेरे पास इंटरनेट की अपेक्षित और यथोचित सुविधा न होने और दूसरे कारणों से उनके वीडियो देख पाना मुश्किल हो रहा था। पिछले तीन चार माह से पुनः उनके वीडियो देखने को मिले, तो उनके बारे में मेरा वह अनुमान सत्य सिद्ध हुआ कि उनसे हम भारतीय और समूचा विश्व ही बहुत सी अपेक्षाएँ कर सकता है। श्री अंकुर आर्य से भी बहुत सी आशाएँ-अपेक्षाएँ हैं, किन्तु यह पोस्ट विशेष रूप से केवल श्री राजीव दीक्षित, श्री पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ और श्री अश्विनी उपाध्याय जी को समर्पित है।
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