आततायी समय
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अंगद के पाँव सा दृढ
आततायी समय सुस्थिर
कितना अजीब सत्य है !
और फिर भी व्यस्त है !1
हर तरफ कोलाहल,
हर तरफ अवसाद है,
हर तरफ निराशा है,
हर तरफ उन्माद है !2
और फिर भी हर कोई
ढूँढता है 'भविष्य' में,
कोई राहत सुकून कोई !
जैसे कि हो वह तयशुदा !3
कोई नहीं है पूछता यह,
क्या यह कोरा शब्द नहीं ?
जिसके आशय अनगिनत,
कौन सा होगा घटित ?4
आततायी समय हर पल,
बीतता ही जा रहा है,
आततायी समय सुस्थिर,
रीतता ही जा रहा है !!
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अंगद के पाँव सा दृढ
आततायी समय सुस्थिर
कितना अजीब सत्य है !
और फिर भी व्यस्त है !1
हर तरफ कोलाहल,
हर तरफ अवसाद है,
हर तरफ निराशा है,
हर तरफ उन्माद है !2
और फिर भी हर कोई
ढूँढता है 'भविष्य' में,
कोई राहत सुकून कोई !
जैसे कि हो वह तयशुदा !3
कोई नहीं है पूछता यह,
क्या यह कोरा शब्द नहीं ?
जिसके आशय अनगिनत,
कौन सा होगा घटित ?4
आततायी समय हर पल,
बीतता ही जा रहा है,
आततायी समय सुस्थिर,
रीतता ही जा रहा है !!
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