October 24, 2019

इबादत / यहाँ

आज की कविता
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एकमेवोऽअद्वितीयो 
यहाँ कौन  क्या है,
किसी का किसी से,
भी रिश्ता ही क्या?1
ख़ुद से ही जब तक,
ख़ुद का नहीं है,
ख़ुदा से भी क्या?2
ख़ुदा से भी अपना,
उसका कहाँ कोई,
भी रिश्ता है क्या?3
ख़ुद से ही नहीं जब,
जहाँ से भी कोई,
भी रिश्ता है क्या?4
अलावा, ख़ुदा के,
कहाँ कोई दुनिया,
या है कोई क्या?5
क्या शै ये दुनिया,
क्या कोई खुद भी,
सोचा है क्या?6
फिर क्या ख़ुदा है,
फिर क्या ख़ुदाई,
देखा है क्या?7
कहाँ फिर जहन्नुम,
कहाँ फिर है जन्नत,
है जाना कहाँ ?8
ख़यालों की जन्नत,
ख़याली जहन्नुम,
होती है क्या?9
जब तक तू ख़ुद है,
ख़ुदा से जुदा है,
कहाँ है कहाँ ?10
जब तक ख़ुदी है,
तब तक है ख़ुद भी,
ख़ुदा है कहाँ ?11
ख़ुदी जब मिटी तो,
ख़ुद भी मिटा ही,
ख़ुदा है यहाँ।12
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