June 14, 2016

ग्रेस की एक अंग्रेज़ी कविता

अनुवादित कविता 
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क्या आपने नहीं देखा?
क्या आपका ध्यान इस ओर नहीं गया ?
विचार-प्रतिमाएँ,
कौंध उठती हैं यदृच्छया,
वे न तो पूर्वसंकल्प से प्रायोजित होती हैं,
और ज़रूरी नहीं,
कि सदा किसी चीज़ से जुड़ी ही होती हों!
वे आविर्भूत होती हैं,
और विलीन हो जाती हैं !
यद्यपि बाद के समय में,
तुम्हारे जागृत स्वप्न में
पुनः अवतरित हो जाती हैं ।
किसी तड़ित-द्युति सी ।
और तुम्हें याद रहता है कि,
अब वे बाह्य तल पर,
प्रकट होने जा रही हैं ।
’अरे! कैसे वह अनोखा विचार मुझे कल ही तो आया था!’
और यही नहीं,
मन भी तो काल में होते हुए भी,
काल से अछूता रह जाता है ।
सर्व में सर्व जैसा होना ।
एक असीम लय में,
सारे विचार और प्रतिमाएँ,
जागृत या सुषुप्त स्वप्न में,
परस्पर गुँथी होती हैं ।
एक अविरल कौंध,
प्रत्यक्ष होता हुआ पूर्वाभास,
देर से घटनेवाला प्रसंग...।
पर किससे जुड़ा होगा वह?
काल से?
किसी से नहीं?
या सबसे?
और उनके मध्य?
तुम्हारा धीरज सब कह देता है ।
सर्वव्यापित्व की कल्पना कर सकना भी,
साक्षात्कार है !
--
मूल अंग्रेज़ी कविता 
Are you noticing?

Imagery-thoughts flash at random times, 
No will or attachment to them. 
Not always associated with anything. 
They come, they go. 
They manifest in the after,
in your waking dream. 
Like lightening 
you remember 
when they seem to appear 
on the outside...

'Oh wow that thought just came to me yesterday?'

Even mind is timeless in time. 
Its the All in all. 
In an endless rhyme
All thoughts & images 
in dreams, waking or sleeping 
are related...
A seamless flash
Appearing premonition...
A belated
...happening, 
just what will it relate to? 
Time. 
Nothing. 
Everything.
And in between. 
Patience reveals.

Imagining Omnipresence 
is Revelation.

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