आनन्द क्या है ?
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नन्दो अथ कृष्णस्य पिता,
यशोदा इति तथा माता ।
एते तस्य धाताधात्र्यौ,
नन्दति तत्र स परमात्मा ॥
आनन्दयति अपि रमते चापि
यो उद्बभूव कारायाम् ।
नन्दयति तत्र च अत्रापि,
इति आनन्द-संज्ञकः ॥
देवकी स्यात् तस्य जननी
वसुदेवो आसीत् जनको तथा ।
करागृहे द्वौ विबन्धीतौ
कंसराज्ञा च मातुलेन ॥
स जीवो हि परमात्मा
आनन्द-चित्-सत्-रूपा ।
यदा यदा हि उद्भवति
संप्रसारयति आनन्दम् ॥
स्वमाप्नोति स्वात्मनि
लीलया च स्वेन अपि ।
एतद्दृष्टम् स्वेन चैव
आत्मना जगदीश्वरेण ॥
--
अर्थ :
नन्द और यशोदा कृष्ण के पालक माता-पिता हैं। देवकी और वसुदेव, वासुदेव के जनक और जननी हैं जो कारागृह में कृष्ण के मामा कंस द्वारा बंदी बनाए गए हैं। उस परमात्मा ने इस प्रकार जीवरूप से कारागृह में जन्म लिया। आनंद उसका ही नाम है। वही स्वयं आनंद है और दूसरों को भी आनंद देता है। जब भी वह जन्म लेता है सर्वत्र आनंद ही फैलाता है। कारागृह में भी और कारा से बाहर भी। अनेक लीलाओं से आनंद में मग्न वह परमेश्वर अपनी ही आत्मा में जगत् को, तथा जगत् में अपने को ही देखता है।
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नन्दो अथ कृष्णस्य पिता,
यशोदा इति तथा माता ।
एते तस्य धाताधात्र्यौ,
नन्दति तत्र स परमात्मा ॥
आनन्दयति अपि रमते चापि
यो उद्बभूव कारायाम् ।
नन्दयति तत्र च अत्रापि,
इति आनन्द-संज्ञकः ॥
देवकी स्यात् तस्य जननी
वसुदेवो आसीत् जनको तथा ।
करागृहे द्वौ विबन्धीतौ
कंसराज्ञा च मातुलेन ॥
स जीवो हि परमात्मा
आनन्द-चित्-सत्-रूपा ।
यदा यदा हि उद्भवति
संप्रसारयति आनन्दम् ॥
स्वमाप्नोति स्वात्मनि
लीलया च स्वेन अपि ।
एतद्दृष्टम् स्वेन चैव
आत्मना जगदीश्वरेण ॥
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अर्थ :
नन्द और यशोदा कृष्ण के पालक माता-पिता हैं। देवकी और वसुदेव, वासुदेव के जनक और जननी हैं जो कारागृह में कृष्ण के मामा कंस द्वारा बंदी बनाए गए हैं। उस परमात्मा ने इस प्रकार जीवरूप से कारागृह में जन्म लिया। आनंद उसका ही नाम है। वही स्वयं आनंद है और दूसरों को भी आनंद देता है। जब भी वह जन्म लेता है सर्वत्र आनंद ही फैलाता है। कारागृह में भी और कारा से बाहर भी। अनेक लीलाओं से आनंद में मग्न वह परमेश्वर अपनी ही आत्मा में जगत् को, तथा जगत् में अपने को ही देखता है।
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