त्वं स्कन्दः!
---
ॐ गं गणपतये नमः।।
एकदा नैमिष्यारण्ये ...
2 x 2 x 2 x 10 x 10 x 10 x 10 = 88000
ऋषयः ...
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वं वायुस्त्वं रुद्रो त्वं स्कन्दस्त्वं यमस्त्वं वरुणः!
सपने, स्मृति, संसार, समय, संबंध और जन्म-मृत्यु
निमिषमात्र में घटित और अघटित होते हैं।
यही हैं षडानन भगवान् स्कन्द के छः मुख, और
स्कन्दावतार !
***



No comments:
Post a Comment