March 23, 2019

यहाँ तक

इतने दिनों तक
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साल 2009 में किसी शुभ दिन ब्लॉग लिखना शुरू किया था । बहुत से प्रयोग किए लेकिन प्रायः उद्देश्य यही होता था कि कोई नई बात लिखूँ । swaadhyaaya, aakaashgangaa, geetaasandarbha, ramanavinay जैसे ब्लॉग में कोई प्रयोजन या सूत्र अवश्य था / है, और अपनी सुविधा के अनुसार मुख्य रूप से हिन्दी, अंग्रेज़ी तथा कभी कभी संस्कृत या मराठी भाषा का प्रयोग मैंने किया । उमंग और उत्साह में कभी कभी तमिळ का भी महत्त्व और ज़रूरत अनुभव हुए ।
किसी पाठक से जुड़ना, किसी का मनोरंजन करना या ब्लॉग-विधा का कोई व्यावसायिक उपयोग करना शायद ही कभी मेरा ध्येय रहा हो । साहित्य की दृष्टि से मैं नहीं कह सकता कि मैं किस कोटि का साहित्यकार हूँ किन्तु इस बारे में सोचना भी अनावश्यक प्रतीत होता है। किसी को कोई शिक्षा या उपदेश देना तो कल्पना में भी संभव नहीं है, अगर कभी कितने 'views' मेरे ब्लॉग के हैं यह देखता हूँ तो बस उत्सुकतावश ही, न कि इसलिए कि उससे मुझे ख़ुशी या निराशा हो ।
swaadhyaaya, aakaashgangaa, geetaasandarbha, ramanavinay जैसे ब्लॉग किसी हद तक सुगठित हैं ऐसा लगता है, लेकिन शेष चार Hindi-ka-blog, romantic...., vinayvaidya, tatha Playform काफी अस्त-व्यस्त, अव्यवस्थित हैं ऐसा कहा जा सकता है ।
यहाँ इनका उल्लेख करना इसलिए ज़रूरी महसूस होता है क्योंकि मेरे swaadhyaaya ब्लॉग के पाठकों की संख्या जिस तेज़ी से पिछले और इस वर्ष बढ़ी है उससे मेरा अनुमान है कि शायद उसमें रोचकता का कोई अंश है, -पाठकों की इसमें दिलचस्पी भी है ।
 swaadhyaaya ब्लॉग में जी भर कर लिखने का मौक़ा मिला और बेहिचक कहना चाहूँगा कि अभी उसमें मैं और भी बहुत से पोस्ट्स लिख सकता हूँ । पर मैं न तो किसी का दिल दुखाना चाहता हूँ न किसी से कोई बहस या चर्चा । इसलिए एक अच्छी से पोस्ट लिखने के बाद उस ब्लॉग में अब संभवतः और आगे कुछ नहीं लिखना है ।लेकिन लिखने का उत्साह अभी बरक़रार है तो सोचता हूँ कि जब तक blogger ज़िंदाबाद है, तब तक कभी कभी बाक़ी के ब्लॉग्स में अवश्य कुछ लिखा जा सकता है।                      

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