January 04, 2018

समय के कॆनवस पर बने चित्र

समय के कॆनवस पर बने चित्र
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जो तुम गढ़ रहे हो वो गढ़ा जा चुका है
जो मैं लिख रहा हूँ पढ़ा जा चुका है ।
बाद का समय, जिसे भविष्य कहा जाता है
अतीत का प्रतिबिंब है, काल्पनिक समय में !
जिसमें तुमने एक यंत्र की तरह गढ़ा था कभी,
जिसमें मैंने एक यंत्र की तरह लिखा था कभी,
जिसमें घटना का बना करता है पुनः प्रतिबिंब,
टूट जाते हैं बस वो तार जो थे कभी संपर्क-सूत्र,
बीच के समय में, इस वर्तमान के दर्पण में,
वही लगता है हुआ, होता, या कभी होएगा,
जो बस कल्पना है जिसमें युगों या कल्पों तक,
जो तुम गढ़ते रहे हो जो कि मैं लिखता रहा हूँ ।
जो तुम गढ़ रहे हो वो गढ़ा जा चुका है
जो मैं लिख रहा हूँ पढ़ा जा चुका है ।
हरेक चित्र जिसे चित्रकार बना ही चुका है,
जिसे समय की फ़्रेम में मढ़ा जा चुका है ।
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