असमंजस बाबू
काश,
जीवन यूँ ही
असमंजस में बीतता रहे ।
--
यहाँ (फ़ेसबुक पर) रहने का मतलब है ’असमंजस बाबू’ बने रहना । क्योंकि जब किसी के वक्तव्य पर टिप्पणी करने का मन होता है तो असमंजस महसूस होने लगता है । क्योंकि या तो मैं बस कोई हल्का-फुल्का, सतही, फ़ॉर्मल कमेंट लिख कर छुट्टी पा लेना चाहता हूँ या फिर पूरी गंभीरता से अपना दृष्टिकोण सामने रखना चाहता हूँ । हालाँकि मुझे पता नहीं कि मेरे कमेंट को कितनी गंभीरता से या सतही तौर पर ग्रहण किया जाएगा । उदाहरण के लिए आपके इस स्टेटस पर मैं कहना चाहता था कि जिसे पता है कि वह असमंजस में है, उसे यह भी पता है कि वह नहीं उसका ’मन’ असमंजस में है । इस प्रकार अपने को मन से पल भर के लिए भी अलग महसूस कर लेना स्पष्ट कर देता है कि जो असमंजस से ग्रस्त है या मुक्त है वह मन नामक कल्पना मात्र है । जिस बोध में यह स्पष्ट होता है वह न तो मन है, न व्यक्ति ।
सादर,
काश,
जीवन यूँ ही
असमंजस में बीतता रहे ।
--
यहाँ (फ़ेसबुक पर) रहने का मतलब है ’असमंजस बाबू’ बने रहना । क्योंकि जब किसी के वक्तव्य पर टिप्पणी करने का मन होता है तो असमंजस महसूस होने लगता है । क्योंकि या तो मैं बस कोई हल्का-फुल्का, सतही, फ़ॉर्मल कमेंट लिख कर छुट्टी पा लेना चाहता हूँ या फिर पूरी गंभीरता से अपना दृष्टिकोण सामने रखना चाहता हूँ । हालाँकि मुझे पता नहीं कि मेरे कमेंट को कितनी गंभीरता से या सतही तौर पर ग्रहण किया जाएगा । उदाहरण के लिए आपके इस स्टेटस पर मैं कहना चाहता था कि जिसे पता है कि वह असमंजस में है, उसे यह भी पता है कि वह नहीं उसका ’मन’ असमंजस में है । इस प्रकार अपने को मन से पल भर के लिए भी अलग महसूस कर लेना स्पष्ट कर देता है कि जो असमंजस से ग्रस्त है या मुक्त है वह मन नामक कल्पना मात्र है । जिस बोध में यह स्पष्ट होता है वह न तो मन है, न व्यक्ति ।
सादर,
No comments:
Post a Comment