December 27, 2017

कविता : समय की सरिता का जल,

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कुछ भी !
समय की सरिता का जल,
सरिता के आँसुओं में;
समय काजल,
घुलमिलकर हो रहे हैं एक,
बिक रहा है आज ’समय’ भी
बोतलबंद पानी की तरह !
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