May 31, 2017

लक़ीरें

लक़ीरें
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वो लक़ीरें उम्र की,
ये लक़ीरें हाथ की,
जो बिताईं साथ हमने,
यादें वो साथ-साथ की!
उन लक़ीरों में लिखी वो,
दास्तानें बीत चुकीं,
इन लक़ीरों में लिखी हैं,
आनेवाले कुछ दिनों की,
उनमें हमने जो किया,
इनमें जो अब हम करेंगे,
वो झुर्रियाँ माथे की तो,
ये सलवटें अहसास की,
पगडंडियाँ दस्तूरे-राह,
पटरियाँ वो लीक सी,
ये उड़ते पंछी का सफ़र,
ये पंछी की परवाज़ सी,
आहटें फ़ुसफ़ुसाहटें,
अंदेशे फ़िक्रो- ख़याल,
हँसी, ये मुस्कुराहटें,
बेतक़ल्लुफ़ दिल का हाल,
वो लक़ीरें उम्र की,
ये लक़ीरें हाथ की,
जो बिताईं साथ हमने,
यादें वो साथ-साथ कीं!
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अभी-अभी अफ़गानिस्तान में जर्मन दूतावास के प्रवेश-द्वार के निकट हुए कार-बम विस्फोट की खबर पढ़ने के बाद ये लक़ीरें लिख रहा हूँ :
वो लक़ीरें इबादत की,
क़िताबों की, मज़हब की,
वफ़ा की, प्यार की,
इंसाफ़ और ईमान की,
ये लक़ीरें खून की,
आँसुओं की, अश्क़ों की,
शक़ो-शुबहा, ग़ुस्से की,
रंजो-ग़म अफ़सोस की ...!
वो लक़ीरें, ये लक़ीरें ...!
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May 21, 2017

अमूर्त / Abstract रिश्ते

अमूर्त / Abstract
रिश्ते
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किसी भी रिश्ते की हदें होती हैं और रिश्ते को परिभाषित करना तो मुश्क़िल है और शायद व्यर्थ की क़ोशिश भी है किंतु रिश्ता कोई भी हो, अपनी हदें ख़ुद ही तय कर लेता है । उन हदों के भीतर उन्हें निभाना तक़लीफ़देह या आरामदेह हो या न हो, उन रिश्तों के टूटने या ख़त्म हो जाने पर भी दुःखी नहीं करता और अग़र करता भी हो तो उससे किसी से शिक़ायत तो होती ही नहीं ।
यह बात न सिर्फ़ पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या किसी क्षेत्र-विशेष जैसे व्यवसाय, उद्योग, शिक्षा आदि में हमारे पारस्परिक संबंधों की स्थिति को हमारे लिए स्पष्ट होने में सहायक है, इससे ग़लतफ़हमियों या मतभेदों की वज़ह से रिश्तों के टूटने या ख़त्म होने की आशंका को भी कम किया जा सकता है ।
लेकिन क्या रिश्ते / रिश्तों की अहमियत सिर्फ़ दूसरे इंसानों से हमारे संपर्क होने / जुड़ने तक ही सीमित है? क्या हम ज़िन्दगी के हर पल निरंतर संसार से संपर्क में नहीं होते? बस फ़र्क़ यह है कि जो चीज़ें हमें अधिक महत्वपूर्ण प्रतीत होती हैं उनसे हम अपना अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं । किंतु क्या उन तमाम चीज़ों से भी अधिक हमारीनिकटता अपने ही ख़यालों, डरों, उम्मीदों, भविष्य की कल्पनाओं, अतीत की खट्टी-मीठी, कटु या तिक्त स्मृतियों से नहीं होती? एक रिश्ता जिसे हम अभी सबसे ख़ास समझते हैं उसे ही, किसी दूसरे रिश्ते की याद आते ही अचानक व्यर्थ का जंजाल या सेन्टीमेन्टेलिटी / कोरी भावुकता समझकर क्या दरक़िनार नहीं कर देते?
रिश्तों की राह कहाँ से है और कहाँ तक है यह समझने पर हम किसी रिश्ते के साथ अन्याय नहीं करते । हालाँकि यह बहुत मुश्किल है लेकिन ज़रूरी भी तो है ।
और उन रिश्तों के बारे में क्या जो अमूर्त / Abstract होते हैं? जैसे कला, कविता, संगीत, और सबसे बढ़कर ‘उससे’ जिसे हम ’सत्य’, ‘भगवान’, ’प्रेम’ और ’जीवन’ कहते हैं?
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May 19, 2017

Redemption Song by Chris Cornell

विमोचन-गीत
(क्रिस कॉर्नेल)
 "रिडेम्प्शन-सॉङ्ग"
हिंदी अनुवाद -विनय कुमार वैद्य
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एक मकड़जाल दोपहर बाद,
रिक्ततापूर्ण कमरे में
मैं बिना किसी दबाव के स्वीकार करता हूँ,
कि मैं मृत्यु से भरी,
क़िताब के पृष्ठों में खोया हुआ था,
कि कैसे हम अकेले मरेंगे -यह पढ़ते हुए,
और अग़र हम अच्छे हैं,
तो हमें शान्ति में विश्रान्ति दी जाएगी,
कहीं भी, जहाँ भी हम जाना चाहते हों वहाँ ।

मैं चाहता हूँ तुम्हारे घर में होना,
एक के बाद दूसरे कमरे में,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
पत्थर की प्रतिमा की तरह,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
अकेला नितान्त ।

और अपनी मृत्युशैया पर मैं प्रार्थना करूँगा,
देवताओं और देवदूतों से,
किसी पैगन की भाँति किसी से भी,
जो मुझे स्वर्ग ले जाए,
एक ऐसी जगह जो मुझे याद हो,
कि वहाँ मैं सुदूर अतीत में था,
जहाँ आसमान को खरोंचें लगी थीं,
और मदिरा रक्त थी,
और वहाँ तुम मुझे ले गए थे।

मैं चाहता हूँ तुम्हारे घर में होना,
एक के बाद दूसरे कमरे में,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
पत्थर की प्रतिमा की तरह,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
अकेला नितान्त ।

और वहीं मैं तब तक पढ़ता रहा था,
जब तक कि दिन ढल चुका था,
और मैं खिन्न-मन बैठा रहा,
उस सबके लिए जिसे मैंने किया,
उस सबके लिए जिसे मैंने आशीष दिए,
और उस सबके लिए,
जिसे मैं ठीक से न समझ सका,
मेरी मृत्यु होने तक,
भटकता रहूँगा स्वप्नों में,

मैं चाहता हूँ तुम्हारे घर में होना,
एक के बाद दूसरे कमरे में,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
पत्थर की प्रतिमा की तरह,
मैं वहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा,
अकेला नितान्त ।
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And the original song in English :
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On a cobweb afternoon
In a room full of emptiness
By a freeway I confess
I was lost in the pages
Of a book full of death
Reading how we'll die alone
And if we're good we'll lay to rest
Anywhere we want to go

In your house I long to be
Room by room patiently
I'll wait for you there
Like a stone
I'll wait for you there
Alone

And on my deathbed I will pray
To the gods and the angels
Like a pagan to anyone
Who will take me to heaven
To a place I recall
I was there so long ago
The sky was bruised
The wine was bled
And there you led me on

In your house I long to be
Room by room patiently
I'll wait for you there
Like a stone
I'll wait for you there
Alone, alone

And on I read
Until the day was gone
And I sat in regret
Of all the things I've done
For all that I've blessed
And all that I've wronged
In dreams until my death
I will wander on

In your house I long to be
Room by room patiently
I'll wait for you there
Like a stone
I'll wait for you there
Alone, alone
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