आज की कविता / मुद्रा और विमुद्रीकरण
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भंगिमा ही देवप्रतिमा,
मुखमुद्रा सुसंगत,
भग्न नहीं अखंडित,
प्रीति की वह पराकाष्ठा ।
प्राणों की प्रतिष्ठा,
होती है प्रतिमा में,
देवता का आवाहन,
हो जाता है संपन्न ।
सहिष्णुता और सेवा
होते हैं अन्योन्याश्रित,
देवता तब पूजनीय,
देवता जब आत्मीय ।
एकानेक-विलक्षण
आत्मीय ईश्वरीय ।
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आशा
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मुद्रा का विमुद्रीकरण,
मुद्रा का नया रूपग्रहण
लोपामुद्रा की दीर्घ श्वास,
मुद्राराक्षस का अट्टहास,
हो जाएँगे शीघ्र ही,
अतीत का अरण्य-रोदन,
रूपामुद्रा उठेगी चमक,
दामिनी सी होगी दमक,
स्वर्ण-मुद्रा होगी खनक,
भारत के स्वर्ण-युग की !
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आज की कविता / चश्मे
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चश्मे पानी के फ़ूटते हैं दिल से,
और आँखों में नमी सी हुआ करती है,
दिल में प्यार का सागर ग़र हो,
कौन सी ज़िन्दगी में कमी रहती है?
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चश्मे शीशे के फ़ूटते हैं जब,
दुनिया धुँधली दिखाई देती है,
प्यार की रौशनी हो आँखों में,
रूह फ़िर भी दिखाई देती है ।
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My Prominant Translation-Works Are:
1.अहं ब्रह्मास्मि - श्री निसर्गदत्त महाराज की विश्वप्रसिद्ध महाकृति
"I Am That" का हिंदी अनुवाद, चेतना प्रकाशन मुम्बई,
( www.chetana.com ) से प्रकाशित
"शिक्षा क्या है ?": श्री जे.कृष्णमूर्ति कृत " J.Krishnamurti: Talks with Students"
Varanasi 1954 का
"ईश्वर क्या है?" : "On God",
दोनों पुस्तकें राजपाल संस, कश्मीरी गेट दिल्ली से प्रकाशित ।
इसके अतिरिक्त श्री ए.आर. नटराजन कृत,
श्री रमण महर्षि के ग्रन्थों "उपदेश-सारः" एवं "सत्-दर्शनं" की
अंग्रेज़ी टीका का हिंदी अनुवाद, जो
Ramana Maharshi Centre for Learning,Bangalore
से प्रकाशित हुआ है ।
I love Translation work.
So far I have translated :
I Am That (Sri Nisargadatta Maharaj's World Renowned English/Marathi/(in more than 17 + languages of the world) ...Vedanta- Classic in Hindi.
J.Krishnamurti's works, :
i) Ishwar Kyaa Hai,
ii)Shiksha Kya Hai ?
And some other Vedant-Classics.
I am writing these blogs just as a hobby. It helps improve my skills and expressing-out myself.
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