November 22, 2016

भूकंप

भूकंप
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अनामंत्रित अवाञ्छित अतिथि वे!
भूकंप कहकर क्यों नहीं आते ....?
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November 20, 2016

प्रीति की वह पराकाष्ठा

आज की कविता /
 मुद्रा और विमुद्रीकरण 
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भंगिमा ही देवप्रतिमा,
मुखमुद्रा सुसंगत,
भग्न नहीं अखंडित,
प्रीति की वह पराकाष्ठा ।
प्राणों की प्रतिष्ठा,
होती है प्रतिमा में,
देवता का आवाहन,
हो जाता है संपन्न ।
सहिष्णुता और सेवा
होते हैं अन्योन्याश्रित,
देवता तब पूजनीय,
देवता जब आत्मीय ।
एकानेक-विलक्षण
आत्मीय ईश्वरीय ।
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November 19, 2016

रूपामुद्रा

आशा
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मुद्रा का विमुद्रीकरण,
मुद्रा का नया रूपग्रहण
लोपामुद्रा की दीर्घ श्वास,
मुद्राराक्षस का अट्टहास,
हो जाएँगे शीघ्र ही,
अतीत का अरण्य-रोदन,
रूपामुद्रा उठेगी चमक,
दामिनी सी होगी दमक,
स्वर्ण-मुद्रा होगी खनक,
भारत के स्वर्ण-युग की !
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November 02, 2016

आज की कविता / चश्मे

आज की कविता / चश्मे
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चश्मे पानी के फ़ूटते हैं दिल से,
और आँखों में नमी सी हुआ करती है,
दिल में प्यार का सागर ग़र हो,
कौन सी ज़िन्दगी में कमी रहती है?
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चश्मे शीशे के फ़ूटते हैं जब,
दुनिया धुँधली दिखाई देती है,
प्यार की रौशनी हो आँखों में,
रूह फ़िर भी दिखाई देती है ।
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