November 02, 2025

Does God Exist?

कविता

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उम्र तो हो गई है परन्तु चिन्ता नहीं मिटी, 

इस बूढ़े की बुद्धि देखो, आज फिर पिटी!

जो रोग जवानी में थे, वो सब तो मिट गए,

लिप्सा, ईर्ष्या, कामना, आशा नहीं मिटी!

उम्र की लंबी सुदीर्घ अवधि तो कट गई,

मृत्यु के कठोर भय की डोर नहीं कटी!

शास्त्र कठिन सभी तो कण्ठस्थ हो गए।

विवेक वैराग्य नहीं, मोह आसक्ति ना घटी!

भगवान है, कि नहीं, संदेह मिट नहीं सका, 

संसार सत्य है ये बुद्धि, कभी नहीं मिटी!

निर्निमेष शून्य दृष्टि से ताकता है वह, 

अंत अब समीप, शीघ्र आ रही घड़ी!!

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