February 06, 2020

रोमाञ्च!

कविता
प्रतियोगी प्रतिभाएँ 
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हँसें खिलखिलाएँ,
भरमाएँ शरमाएँ,
डराएँ धमकाएँ,
मुसकाएँ लुभाएँ,
फ़ुसलाएँ बहलाएँ,
सहलाएँ बल खाएँ,
मुरझाएँ कुम्हलाएँ,
इर्द गिर्द दाएँ बाएँ,
लजाएँ ललचाएँ,
बहुत समीप से,
छूकर गुज़र जाएँ,
पकड़ में न आएँ!
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February 01, 2020

और यह भी !

अतीत और मन
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जब तक कोई अतीत है, -तब तक मन भी होता ही है, और जब तक मन है,  -तब तक कोई अतीत भी.
या तो वे दोनों होते हैं, या उनमें से कोई नहीं होता.
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ऐसा भी होता है!

तब तक
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जब तक आशा (निराशा) होती है, -तब तक भविष्य भी  होता है. और जब तक भविष्य है, -तब तक आशा (निराशा).
या तो आशा(निराशा) और भविष्य दोनों होते हैं, या उनमें से  कोई  नहीं होता.
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