बलात्प्रेमी
--
अपने भाषा-अनुसंधान में मुझे यह रोचक तथ्य मिला कि कैसे 'वल्क', 'वल्यते' से अंग्रेज़ी के 'value', 'evolve', 'वलित' से 'volt' और 'volt-face' की उत्पत्ति हुई। इसी प्रकार 'लुच्'-- 'लोचयति'-- 'लोक' से VolksWagen नामक लोक-वाहन (van), vehicle को नाम प्राप्त हुआ।
शायद इसी प्रकार 'ब्लॉग' / 'blog' शब्द प्रचलन में आया होगा।
वैसे संस्कृत भाषा में 'बलाका' कहते हैं वकपंक्ति को।
वक / बक कहते हैं बगुले नामक पक्षी को,
इसलिए बकवाद या बकवास दोनों मूलतः संस्कृत भाषा में भी अर्थ रखते हैं।
हिंदी में इन शब्दों का अर्थ होता है अनर्गल या अमर्यादित भाषण।
इस दृष्टि से कुछ राजनीतिज्ञों को 'blogger' की श्रेणी में रखना गलत न होगा।
और कुछ ब्लॉगर ट्वीट्स में भी ऐसा करते हैं।
केवल रोचक होने से ही सफलता या लोकप्रियता पा लेने को 'येन-केन-प्रकारेण' प्रसिद्ध होने का ही एक प्रयास कहा जा सकता है।
फूहड़ या अश्लील, द्विअर्थी तात्पर्य वाले वक्तव्य देना भी ऐसा ही है :
कभी शाम को आपने आकाश में बगुलों की ऐसी पंक्तियाँ देखी ही होंगी।
भ्रमवश कोई उन्हें हंसों की पंक्ति भी समझ सकता है।
पर्याय से, imperatively; आसमान में चमकने वाली बिजली को भी बलाका कहा जाता है।
इसी तुलना से बलात् शब्द से दो अन्य शब्दों का साम्य दृष्टव्य है :
'blast' ( विस्फोट), और 'blasphemy' में पाया जानेवाला 'blas'.
'प्रेम' से fame और phem का साम्य भी दृष्टव्य है।
fame और 'प्रेम' भी एक दूसरे के पर्याय हो सकते हैं।
प्रेम की सिद्धि हो या न हो, प्रसिद्धि / बदनामी तो प्रायः हो ही जाती है।
'blasphemy' के लिए 'ईशनिंदा' शब्द का प्रयोग कहाँ तक स्वीकार्य है, यह सोचने की बात है।
चलते चलते :
सोचता हूँ:
"भाषा-अनुसंधान में 'साम्यवाद' का महत्त्व" विषय पर क्या कोई पोस्ट लिखी जा सकती है।
--
--
अपने भाषा-अनुसंधान में मुझे यह रोचक तथ्य मिला कि कैसे 'वल्क', 'वल्यते' से अंग्रेज़ी के 'value', 'evolve', 'वलित' से 'volt' और 'volt-face' की उत्पत्ति हुई। इसी प्रकार 'लुच्'-- 'लोचयति'-- 'लोक' से VolksWagen नामक लोक-वाहन (van), vehicle को नाम प्राप्त हुआ।
शायद इसी प्रकार 'ब्लॉग' / 'blog' शब्द प्रचलन में आया होगा।
वैसे संस्कृत भाषा में 'बलाका' कहते हैं वकपंक्ति को।
वक / बक कहते हैं बगुले नामक पक्षी को,
इसलिए बकवाद या बकवास दोनों मूलतः संस्कृत भाषा में भी अर्थ रखते हैं।
हिंदी में इन शब्दों का अर्थ होता है अनर्गल या अमर्यादित भाषण।
इस दृष्टि से कुछ राजनीतिज्ञों को 'blogger' की श्रेणी में रखना गलत न होगा।
और कुछ ब्लॉगर ट्वीट्स में भी ऐसा करते हैं।
केवल रोचक होने से ही सफलता या लोकप्रियता पा लेने को 'येन-केन-प्रकारेण' प्रसिद्ध होने का ही एक प्रयास कहा जा सकता है।
फूहड़ या अश्लील, द्विअर्थी तात्पर्य वाले वक्तव्य देना भी ऐसा ही है :
कभी शाम को आपने आकाश में बगुलों की ऐसी पंक्तियाँ देखी ही होंगी।
भ्रमवश कोई उन्हें हंसों की पंक्ति भी समझ सकता है।
पर्याय से, imperatively; आसमान में चमकने वाली बिजली को भी बलाका कहा जाता है।
इसी तुलना से बलात् शब्द से दो अन्य शब्दों का साम्य दृष्टव्य है :
'blast' ( विस्फोट), और 'blasphemy' में पाया जानेवाला 'blas'.
'प्रेम' से fame और phem का साम्य भी दृष्टव्य है।
fame और 'प्रेम' भी एक दूसरे के पर्याय हो सकते हैं।
प्रेम की सिद्धि हो या न हो, प्रसिद्धि / बदनामी तो प्रायः हो ही जाती है।
'blasphemy' के लिए 'ईशनिंदा' शब्द का प्रयोग कहाँ तक स्वीकार्य है, यह सोचने की बात है।
चलते चलते :
सोचता हूँ:
"भाषा-अनुसंधान में 'साम्यवाद' का महत्त्व" विषय पर क्या कोई पोस्ट लिखी जा सकती है।
--
No comments:
Post a Comment