April 14, 2016

आज की कविता -- प्रदक्षिणा

आज की कविता
--
प्रदक्षिणा
--
(सन्दर्भ :
तव तत्वं न जानामि
कीदृशोऽसि महेश्वर ।
यादृशोऽसि महादेव
तादृशाय नमोनमः)
--
उत्स से उत्साह उत्थित,
प्राण-मन को व्याप लेता ।
तोड़कर सीमान्त सारे,
व्योम-दिग् सब नाप लेता ।
जब न पाता और कुछ भी
जिसको कि वह छू भी सके ।
करके नमन तब उत्स को वह,
उत्स ही में लौट जाता ॥
--