©
आज की नज़्म !
वक़्त के साथ साथ मौसम भी बदल जाते हैं,
दोस्त बदल जाते हैं दुश्मन भी बदल जाते हैं,
जब हवा चलती है बदलाव की तो ग़ुल भी,
ग़ुल-ए-रंग भी, तहज़ीब और इंसां भी, बदल जाते हैं
--
फ़िर भी है क़ायनात इन्सां की,
फ़िर भी है दौलत-ओ-क़द्र ईमां की,
वो बदलते नहीं हर्ग़िज़ किसी भी सूरत में,
हाँ मगर पैमाने मीज़ान बदल जाते हैं ।
--
आज की नज़्म !
वक़्त के साथ साथ मौसम भी बदल जाते हैं,
दोस्त बदल जाते हैं दुश्मन भी बदल जाते हैं,
जब हवा चलती है बदलाव की तो ग़ुल भी,
ग़ुल-ए-रंग भी, तहज़ीब और इंसां भी, बदल जाते हैं
--
फ़िर भी है क़ायनात इन्सां की,
फ़िर भी है दौलत-ओ-क़द्र ईमां की,
वो बदलते नहीं हर्ग़िज़ किसी भी सूरत में,
हाँ मगर पैमाने मीज़ान बदल जाते हैं ।
--